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पुणे में दकन कॉलेज के पुरातत्वविदों को प्राचीन मृदभांडों व बर्तनों के कुछ टूटे हुए टुकड़े मिले हैं जो 2000 साल पुराने है। यहां एक प्राचीन स्थल बुद्धवार पेठ के पास नींव के लिए खुदाई का काम चल रहा था। पुरातत्वविदों को ये प्राचीन वस्तुएं इसी खुदाई के दौरान मिली हैं।
इन मृद भांडों व बर्तनों के साक्ष्य के आधार पर पुरातत्वविदों का अनुमान है कि इससे पुणे शहर के २००० साल पहले एक प्रसिद्ध व्यापार केंद्र होने का प्रमाण मिलता है। इतिहासकार पांडुरंग बलकावड़े, जो कि इन पुरातत्वविदों के साथ काम कर रहे हैं और शहर की प्राचीनता का अध्ययन कर रहे हैं, का कहना है कि पुणे शहर के उस समय तक एक बड़े व्यापारिक केंद्र होने का यह सबसे पुराना साक्ष्य है।
बलकावड़े ने बताया कि जो प्राचीन वस्तुएं बुद्धवार पेठ इलाके में १५-२० फीट गहरे गड्ढे से मिली हैं, वह सातवाहन काल की हैं। जो बर्तन मिले हैं उनमें पालिश किए हुए लाल, काले रंग के मृदभाड के टुकड़े हैं। जो संभवतः खाना पकाने और अनाज संग्रह के लिए प्रयुक्त होते थे। ये सभी शहर के उस पुराने हिस्से से पाए गए हैं, जो मूथा नदी के तट पर अवस्थित है। पाए गए उत्कृष्ट मृदभांडों में एक बड़ी प्लेट, जल संग्रह करने वाला एक कंटेनर और अनाज रखने के पात्र के टुकड़े बताते हैं कि इन्हें कुशल कारीगरों ने बनाया होगा। जहां खुदाई हुी है वह नौ स्तरों को दर्शाती है। सबसे उपरी स्तर को इन्होंने १८वीं शताब्दी का बताया है जबकि सबसे निचले स्तर को ईसापूर्व १०० साल पुराना बताया गया है। इसी निचले स्तर से मिले हैं मृदभांड।
कुछ साल पहले कस्बा पेठ इलाके से इसी तरह की प्राचीन सामग्री मिलीं थी। कार्न डेटिंग के आधार पर इन सभी को सातवाहन काल का बताया जा रहा है। पहले जो सामग्री मिलीं थां, उन्हें दकन कालेज संग्रहालय में रखा गया है। इन प्राचीन मृदभांडों का बलकावड़े के साथ शोधकर्ता प्रवीन पाटिल, अभय काले और अमोल बंकर अध्ययन कर रहे हैं।
2 comments:
अच्छी जानकारी दी, आभार!!
ईसापूर्व 100 साल मायने रखता है देक्कन कॉलेज की टीम और सदस्यों को बधाई -शरद कोकास
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