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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में तीन किमी लंबी गुफा मिली है, जिसमें दीवारों पर देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी हुई हैं। गुफा तीन मंजिला है इसमें शिवलिंग जैसी आकृति भी मौजूद है। फिलवक्त गुफा की दो मंजिलों व भित्तिचित्रों का अध्ययन शुरू कर दिया गया है। तीसरी मंजिल पर जाने की कोशिश की जा रही है। लोगों का मानना है कि गुफा महाभारत काल की हो सकती है।
तहसील मुख्यालय पुरोला से 15 किलोमीटर दून ठढुंग गांव से सटे जंगल में इस गुफा को एक साधु और कुछ चरवाहों ने सबसे पहले देखा। इसकी जानकारी ग्राम प्रधान जनक सिंह राणा को दी। इसके बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के पुरातत्व विभाग से डा. बीएस पंवार ने जाकर गुफा का निरीक्षण किया। डा. पंवार ने बताया कि करीब तीन किलो मीटर लंबी गुफा का व्यास पांच मीटर है व यह तीन मंजिला है।
पहली मंजिल में प्रवेश के लिए दो फुट ऊंची व बीस फीट लंबी सुरंग से गुजरना पड़ता है। अंदर तीन बड़े हालनुमा कमरे हैं, जिनकी दीवारें सफेद मारबल जैसे पत्थरों की बनी है। इनकी दीवारों पर देवी देवताओं व मनुष्य की आकृतियां बनी हैं। दूसरी मंजिल में दीवारों पर कुछ चित्र, खड़ाऊं व मूर्तियां बनी है। गुफा के भीतर एक छोटा तालाब भी है, जिसके बीचों-बीच सफेद पत्थरों से बने दो छोटे व एक बड़ा शिवलिंग है। तीसरी मंजिल के आगे काफी संकरी है, इसलिए अब तक यहां कोई प्रवेश नहीं कर सका है। गुफा के बारे में गांव के बुजुर्ग मेयराम, सब्बल सिंह रावत, गुलाब सिंह का मानना है कि पांडवों ने वन प्रवास के समय लाखामंडल में यज्ञ करने के लिए श्रृंग ऋषि को बुलाया था। लाखामंडल जाते हुए श्रृंगी ऋषि ने इसी गुफा में कुछ समय विश्राम किया था। उधर डा. पंवार ने भी माना कि पुरोला व आसपास का इलाके में महाभारत काल के अवशेष मिलते रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह गुफा भी महाभारत काल की हो सकती है। साभार-याहू जागरण ( http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5515101.html )
4 comments:
महत्वपूर्ण जानकारी. आभार. लिंक को भी देखा लेकिन विस्तार में कुछ नहीं मिला. इस बात का अफ़सोस है
बढिया जानकारी प्रदान की....धन्यवाद
Mahatvapoorn jankari hai yah...bada achcha laga jankar...
Aabhar aapka.
good
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