मध्य प्रदेश के शहर छतरपुर से 37 किलोमीटर दूर बिजावर कस्बे में भगवान राम और जानकी के मंदिर सहित तमाम प्राचीन विरासत बिखरी हुई है। जानकी निवास के ट्रस्टी हरिशंकर अग्रवाल ने बताया कि बिजावर और उसके आसपास जटाशंकर धाम, अर्जुनकुण्ड और पहाड़ों पर शैल चित्र सहित हजारों साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत बिखरी हुई है।
इस समय बीस से पच्चीस हजार की आबादी वाले बिजावर कस्बे में लगभग 250 मंदिर हैं जिनमें से 48 मंदिर शासकीय सूची में दर्ज है। राम निवास, जानकी निवास के अलावा बडी देवी, बिहारी, राधा माधव, चित्रगुप्त, जानकी रमण, जुगल किशेर और लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे प्रमुख मंदिर हैं। अग्रवाल ने बताया कि राम जानकी के मंदिर में भगवान की व्यवस्था एक गृहस्थ की तरह होती है। सोने के लिए अलग कक्ष बैठक के लिए आसन (कुर्सी) जानकी के शृंगार के लिए शृंगारदान और भगवान राम के लिए चौपड़ है।
अग्रवाल ने बताया कि लगभग 100 साल पहले संवत 1965 में जानकी निवास का निर्माण तत्कालीन राजा सावंत सिंह ने कराया था जबकि राम निवास मंदिर 300 से 400 साल पुराना है। विवाह पंचमी पर भगवान राम और सीता का समारोहपूर्वक विवाह आयोजित करने की परंपरा यहां वर्षों से चली आ रही है। चित्रगुप्त मंदिर के पुजारी और पुजारी संघ के संचालक लखनलाल दुबे ने कहा कि राजा सावंत सिंह ने बिजावर रियासत में सैकड़ों की संख्या में मंदिरों का निर्माण कराया। दुबे ने कहा कि सरकार को मंदिरों के रख रखाव और संरक्षण की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। यदि यहां किलों और मंदिरों को समग्र रूप से संरक्षित व दर्शनीय बनाया जाए ताकि बिजावर एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। स्थानीय तालाब को विकसित कर वाटर स्पोर्टस शुरू किया जा सकता है। (भाषा)।
1 comment:
बिजावर के पास अर्जुन कुंड तो हमने नहीं देखा/सुना परन्तु एक भीम कुंड भी है. आभार. .
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