सारनाथ (वाराणसी)- मूलगंध कुटी विहार परिसर में स्थित बोधि वृक्ष का एक हिस्सा शुक्रवार की सुबह धराशायी हो गया। यह संयोग था कि किसी मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद पहला उपदेश इसी स्थान पर दिया था। इस मान्यता की वजह से प्रतिदिन हजारों की संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी मत्था टेकने यहां आते हैं।
वृक्ष के तने का एक हिस्सा अरसे से पोला (अंदर से सड़ना) हो गया था। हालांकि इसे संरक्षित करने के लिए कई बार आवाज उठी लेकिन कोई काम नहीं हुआ। शुक्रवार की सुबह तकरीबन पौने पांच बजे अचानक पेड़ का तना बीच से टूटकर उत्तर की तरफ गिर गया। विशालकाय होने के कारण उसकी आवाज सारनाथ में हड़कंप मचाने के लिए काफी थी। मूलगंध कुटी विहार के लोगों के अलावा काफी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक भी मौके पर पहुंच गये और सबसे पहले यह जानने की कोशिश की गई कि कहीं इसके नीचे कोई श्रद्धालु तो नहीं दब गया। चूंकि वृक्ष के दक्षिण तरफ बुद्ध के पांच प्रथम शिष्यों की मूर्तियां हैं इसलिए पेड़ का हिस्सा गिरने से उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।
जानकारों ने बताया कि अब वृक्ष के बचे हिस्से को बचाने के लिए वैज्ञानिकों की राय ली जाएगी। धार्मिक मान्यता होने के कारण वृक्ष के टूटे हिस्से को सुरक्षित रखने पर विचार चल रहा है। (साभार - हिन्दुस्तान)।
वृक्ष के तने का एक हिस्सा अरसे से पोला (अंदर से सड़ना) हो गया था। हालांकि इसे संरक्षित करने के लिए कई बार आवाज उठी लेकिन कोई काम नहीं हुआ। शुक्रवार की सुबह तकरीबन पौने पांच बजे अचानक पेड़ का तना बीच से टूटकर उत्तर की तरफ गिर गया। विशालकाय होने के कारण उसकी आवाज सारनाथ में हड़कंप मचाने के लिए काफी थी। मूलगंध कुटी विहार के लोगों के अलावा काफी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक भी मौके पर पहुंच गये और सबसे पहले यह जानने की कोशिश की गई कि कहीं इसके नीचे कोई श्रद्धालु तो नहीं दब गया। चूंकि वृक्ष के दक्षिण तरफ बुद्ध के पांच प्रथम शिष्यों की मूर्तियां हैं इसलिए पेड़ का हिस्सा गिरने से उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।
जानकारों ने बताया कि अब वृक्ष के बचे हिस्से को बचाने के लिए वैज्ञानिकों की राय ली जाएगी। धार्मिक मान्यता होने के कारण वृक्ष के टूटे हिस्से को सुरक्षित रखने पर विचार चल रहा है। (साभार - हिन्दुस्तान)।
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