बिहार पुरातत्व विभाग को पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर तेल्हाडा में एक अन्य विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं जिसकी चर्चा चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग के विवरणी में किया गया है। बिहार पुरातत्व विभाग के निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि खुदाई के दौरान तेल्हाडा में विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं।
उन्होंने बताया कि तेल्हाडा विश्वविद्यालय का जिक्र इत्सिंग जिन्होंने ईसा पूर्व सातवीं सदी में नालंदा का भ्रमण किया था, उसके विवरणी में किया गया है। तिल्हाडा विश्वविद्यालय को उच्च शोध वाले के रूप में या फिर नालंदा विश्वविद्यालय जो कि प्राचीन काल में पूरे विश्व के बौद्ध विद्वानों के लिए ज्ञान हासिल करने का केंद्र था इसकी प्रतिस्पर्द्धा में खोला गया होगा।
वर्मा ने बताया कि तेल्हाडा में तीन बौद्ध मंदिरों के अवशेष मिले हैं और इनका भी जिक्र इत्सिंग के विवरणी में किया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त विवरणी में करीब एक हजार बौद्ध भिक्षुओं के एक बड़े चबूतरे पर साथ बैठकर प्रार्थना करने का भी जिक्र है जिसे भी खुदाई के दौरान चिन्हित कर लिया गया है।
बिहार पुरातत्व विभाग के निदेश अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी के दौरान बिहार की यात्रा पर आए चीनी यात्री ह्वेनसांग की विवरणी में बताई गई बातों के मुताबिक तेल्हाडा से गुप्त और पाल काल की संरचनाएं खुदाई में मिली हैं।
उन्होंने बताया कि सीलें जिनपर तिल्हाधक महाविहारा लिखा है जिसी पुष्टि पुरातत्विद एलक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट में की थी, वह भी पाए गए हैं। यह महाविहारा के करीब एक किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। नालंदा जिला के एकंगसराय प्रखंड के तेल्हाडा में 2009 में शुरू किया गया खुदाई का काम आज भी जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां जारी खुदाई कार्याें की प्रगति के बारे में जानने के लिए कई बार उस स्थल का भ्रमण कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि खुदाई के क्रम में तेल्हाडा में मिली सामग्रियों को पटना में बन रहे अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाएगा। नीतीश के आग्रह पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने तेल्हाडा के प्राचीन बौद्ध मठ के शुरुआती खुदाई स्थल का पिछले सप्ताह भ्रमण किया था। सेन नालंदा में स्थापित होने वाले नालंदा इंटरनेश्नल यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। (पटना, 15 जनवरी (भाषा)।)
जगन्नाथ मंदिर का संरक्षण कार्य इस साल के अंत तक पूरा होगा
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चल रहे संरक्षण व मरम्मत कार्य को पूरा करने के लिए दिसंबर 2014 की समय सीमा निर्धारित करते हुए केंद्र ने बुधवार को कहा कि वह ओड़िशा में सभी प्राचीन स्मारकों का संरक्षण सुनिश्चित करेगा।
केंद्रीय संस्कृति सचिव रवींद्र सिंह ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में राज्य सरकार के अधिकारियों से बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा,‘हमने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से दिसंबर 2014 तक श्री जगन्नाथ मंदिर के संरक्षण व मरम्मत कार्य को पूरा करने को कहा है, जो 2015 में होने वाले भगवान के नवकलेवर उत्सव से काफी पहले हो जाएगा।’
केंद्रीय सचिव ने बैठक में मौजूद एएसआइ अधिकारियों को निर्देश दिया कि जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार की मरम्मत व बहाली के काम को मार्च 2014 तक पूरा कर लें।
पुरी में एएसआइ की एक इकाई स्थापित करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्रीय सचिव ने कहा कि एक पखवाड़े के भीतर औपचारिक आदेश दे दिए जाएंगे। बैठक में कोणार्क मंदिर के संरक्षण व उसके अंदर भरी रेत की बोरियों को हटाने के बारे में भी विस्ताार से चर्चा की गई। ( भुवनेश्वर, 15 जनवरी (भाषा)। )
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