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Sunday, March 4, 2012

खजुराहो विश्व के देखने लायक दस प्राचीन शहरों की सूची में शामिल

  मध्यकालीन भारत की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना कहे जाने वाले खजुराहो के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों को अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार हफिंगटन पोस्ट ने दुनिया के, देखने लायक दस प्राचीन शहरों की सूची में शामिल किया है। पोस्ट ने इस सूची में तुर्की के ‘इफेसुस’ को पहला स्थान, कंबोडिया के ‘अंकोरवाट’ को दूसरा और मैक्सिको के तेओतिहुअकान शहर को तीसरा स्थान दिया है । समाचार पत्र ने खजुराहो को सातवें पायदान पर रखा है। हफिंग्टन पोस्ट ने अपनी वेबसाइट पर खजुराहो के बारे में बारे में लिखा है, ‘संभवत अपनी कामोत्तेजक मूर्तियों के लिये दुनियाभर में चर्चित इस प्राचीन शहर में देखने लायक और भी बहुत कुछ है । खजुराहो जाने वाले पर्यटक 10वीं और 11वीं सदी में बने और बेहद आकषर्क 22 मंदिरों को देख सकते हैं।
अखबार ने लिखा है, ‘इन मंदिरों को मध्यकालीन भारतीय मूर्तिकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में शामिल किया जाता है । पूरे खजुराहो को देखने के लिये गंभीरता और प्रतिबद्धता की जरूरत होती है, इसलिये ज्यादातर पर्यटक विश्व प्रसिद्ध मंदिरों और शाम को होने वाले बेहद भव्य ‘साउंड एंड लाइट शो’ तक खुद को सीमित रखते हैं।’ हफिंग्टन पोस्ट ने लिखा है कि भारत में खजुराहो की टक्कर का स्थापत्य फतेहपुर सीकरी में दिखाई देता है । यह शहर बसने के कुछ ही समय बाद खाली हो गया था और इसका निर्माण 16वीं सदी के मुगल बादशाह के लिये राजधानी के तौर पर किया गया था । यह स्थल अब पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है। सूची में पहले स्थान पर तुर्की के ‘इफेसुस’ शहर के बारे में पोस्ट ने लिखा है, ‘विश्व में यूनानी और रोमन स5यता के सबसे अच्छे खंडहरों में से कुछ यहां पर हैं । हालांकि यहां पर कुछ दिलचस्प ध्वंसावशेष हैं लेकिन यहां एक अविश्वसनीय थियेटर है जिसमें 25 हजार लोग बैठ सकते हैं।’ अखबार ने अंकोरवाट के बारे में लिखा है ‘एक सर्वेक्षण के मुताबिक, खमेर साम्राज्य की राजधानी रहा यह प्राचीन शहर औद्योगिकरण के पहले दुनिया की सबसे बड़ी बस्ती थी । आज यहां पर कई पुरातात्विक आश्चर्य मौजूद हैं जिसमें सबसे ज्यादा सुंदर अंकोरवाट का मंदिर है।’ मैक्सिको के तेओतिहुअकान शहर के बारे में हफिंग्टन पोस्ट ने लिखा है, ‘यह शहर अपने विशाल सीढ़ीदार पिरामिडों और मध्य में बने चौड़े रास्ते के लिये जाना जाता है । इसे ‘मौत का रास्ता’ भी कहा जाता है । इसे किसने बनवाया था, इसकी ठीक ठीक जानकारी अभी नहीं हो पाई है।’
    दुनियाभर में देखने लायक 10 प्राचीन शहरों की इस सूची में मिस्र के थेबेस को चौथा, पेरू के माचू पीचू को पांचवां, सीरिया के पालमायरा को छठवां, इटली के हरकुलानेओम शहर को आठवां, मैक्सिको के चिचेन इजजा को नौंवा और जार्डन के शहर पेट्रा को 10 वां स्थान दिया गया है। (एजेंसी)
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इतिहास

    मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं।
खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। यह शहर चंदेल साम्राज्‍य की प्रथम राजधानी था। चन्देल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे। चंदेल मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे। वे अपने आप का चन्द्रवंशी मानते थे। चंदेल राजाओं ने दसवीं से बारहवी शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चंदेल राजाओं द्वारा किया गया। मंदिरों के निर्माण के बाद चंदेलों ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरित कर दी। लेकिन इसके बाद भी खजुराहो का महत्व बना रहा।
मध्यकाल के दरबारी कवि चन्द्रवरदायी ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में चंदेलों की उत्पत्ति का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक दिन वह गर्मियों की रात में कमल-पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी। उसकी सुंदरता देखकर भगवान चन्द्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारणकर धरती पर आ गए और हेमवती का हरण कर लिया। दुर्भाग्य से हेमवती विधवा थी। वह एक बच्चे की मां थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर अपना जीवन नष्ट करने और चरित्र हनन का आरोप लगाया।
अपनी गलती के पश्चाताप के लिए चन्द्र देव ने हेमवती को वचन दिया कि वह एक वीर पुत्र की मां बनेगी। चन्द्रदेव ने कहा कि वह अपने पुत्र को खजूरपुरा ले जाए। उन्होंने कहा कि वह एक महान राजा बनेगा। राजा बनने पर वह बाग और झीलों से घिरे हुए अनेक मंदिरों का निर्माण करवाएगा। चन्द्रदेव ने हेमवती से कहा कि राजा बनने पर तुम्हारा पुत्र एक विशाल यज्ञ का आयोजन करगा जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे। चन्द्र के निर्देशों का पालन कर हेमवती ने पुत्र को जन्म देने के लिए अपना घर छोड़ दिया और एक छोटे-से गांव में पुत्र को जन्म दिया।
हेमवती का पुत्र चन्द्रवर्मन अपने पिता के समान तेजस्वी, बहादुर और शक्तिशाली था। सोलह साल की उम्र में वह बिना हथियार के शेर या बाघ को मार सकता था। पुत्र की असाधारण वीरता को देखकर हेमवती ने चन्द्रदेव की आराधना की जिन्होंने चन्द्रवर्मन को पारस पत्थर भेंट किया और उसे खजुराहो का राजा बनाया। पारस पत्थर से लोहे को सोने में बदला जा सकता था।
चन्द्रवर्मन ने लगातार कई युद्धों में शानदार विजय प्राप्त की। उसने कालिंजर का विशाल किला बनवाया। मां के कहने पर चन्द्रवर्मन ने तालाबों और उद्यानों से आच्छादित खजुराहो में 85 अद्वितीय मंदिरों का निर्माण करवाया और एक यज्ञ का आयोजन किया जिसने हेमवती को पापमुक्त कर दिया। चन्द्रवर्मन और उसके उत्तराधिकारियों ने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया।

कंदरिया महादेव मंदिर

कंदरिया महादेव मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरों में विशालतम है। यह अपनी भव्यता और संगीतमयता के कारण प्रसिद्ध है। इस विशाल मंदिर का निर्माण महान चंदेल राजा विद्याधर ने महमूद गजनवी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में किया था। लगभग 1050 ईसवीं में इस मंदिर को बनवाया गया। यह एक शैव मंदिर है। तांत्रिक समुदाय को प्रसन्न करने के लिए इसका निर्माण किया गया था। कंदरिया महादेव मंदिर लगभग 107 फुट ऊंचा है। मकर तोरण इसकी मुख्य विशेषता है। मंदिर के संगमरमरी लिंगम में अत्यधिक ऊर्जावान मिथुन हैं। अलेक्जेंडर कनिंघम के अनुसार यहां सर्वाधिक मिथुनों की आकृतियां हैं। उन्होंने मंदिर के बाहर 646 आकृतियां और भीतर 246 आकृतियों की गणना की थीं।

देवी जगदम्बा मंदिर

कंदरिया महादेव मंदिर के चबूतरे के उत्तर में जगदम्बा देवी का मंदिर है। जगदम्बा देवी का मंदिर पहले भगवान विष्णु को समर्पित था, और इसका निर्माण 1000 से 1025 ईसवीं के बीच किया गया था। सैकड़ों वर्षों पश्चात यहां छतरपुर के महाराजा ने देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करवाई थी इसी कारण इसे देवी जगदम्बा मंदिर कहते हैं। यहां पर उत्कीर्ण मैथुन मूर्तियों में भावों की गहरी संवेदनशीलता शिल्प की विशेषता है। यह मंदिर शार्दूलों के काल्पनिक चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। शार्दूल वह पौराणिक पशु था जिसका शरीर शेर का और सिर तोते, हाथी या वराह का होता था।

सूर्य मंदिर

खजुराहो में एकमात्र सूर्य मंदिर है जिसका नाम चन्द्रगुप्त है। चन्द्रगुप्त मंदिर एक ही चबूतरे पर स्थित चौथा मंदिर है। इसका निर्माण भी विद्याधर के काल में हुआ था। इसमें भगवान सूर्य की सात फुट ऊंची प्रतिमा कवच धारण किए हुए स्थित है। इसमें भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं। मंदिर की अन्य विशेषता यह है कि इसमें एक मूर्तिकार को काम करते हुए कुर्सी पर बैठा दिखाया गया है। इसके अलावा एक ग्यारह सिर वाली विष्णु की मूर्ति दक्षिण की दीवार पर स्थापित है।
बगीचे के रास्ते में पूर्व की ओर पार्वती मंदिर स्थित है। यह एक छोटा-सा मंदिर है जो विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को छतरपुर के महाराजा प्रताप सिंह द्वारा 1843-1847 ईसवीं के बीच बनवाया गया था। इसमें पार्वती की आकृति को गोह पर चढ़ा हुआ दिखाया गया है। पार्वती मंदिर के दायीं तरफ विश्वनाथ मंदिर है जो खजुराहो का विशालतम मंदिर है। यह मंदिर शंकर भगवान से संबंधित है। यह मंदिर राजा धंग द्वारा 999 ईसवीं में बनवाया गया था। चिट्ठियां लिखती अपसराएं, संगीत का कार्यक्रम और एक लिंगम को इस मंदिर में दर्शाया गया है।
 http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8B

1 comment:

SANDEEP PANWAR said...

आपके इस लेख को पढकर यहाँ जाने का मन हो आया है।

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