जैसे तालिबानियों ने बामियान में बुद्ध की विशालकाय मूर्ति को तोड़ा था उसी तरह मालदीव में भी संग्रहालय में रखी बुद्ध की मूर्तियों को कट्टरपंथियों ने तोड़ दिया है। यानी बामियान की तरह मालदीव में भी ऐतिहासिक सामग्री नष्ट कर रहे हैं कट्टरपंथी।
मालदीव दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन [दक्षेस] का ऐसा सदस्य देश है जहां की सरकार के पीछे हमेशा से सेना रही है। मालदीव में पहली बार ऐसा हुआ है। देश में राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद के इस्तीफा देने और नए शासक के सत्ता संभालने के बाद हालात अशांत हो गए हैं। सात फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति नशीद के इस्तीफे के बाद से मालदीव में अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। पिछले सप्ताह नशीद के इस्तीफे से पहले और बाद में वहां हिंसा भड़क गई थी। नशीद का परिवार श्रीलंका चला गया। लेकिन नशीद ने एक श्रीलंकाई अखबार से कहा कि वह मालदीव में ही रहेंगे और लोकतंत्र के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। पिछले साल 23 दिसंबर को जब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तब उसमें कट्टरपंथी मुस्लिम आंदोलनकारी शामिल थे। उसमें कुछ अतिवादी तत्व भी थे। पूर्व सलाहकार ने जोर देकर कहा कि 23 दिसंबर को माले की सड़कों पर जिन लोगों ने प्रदर्शन किया था वे मालदीव के चरमपंथी तत्व थे।मालदीव के राष्ट्रपति नशीद के इस्तीफे से साफ हो गया है कि यह छोटा-सा देश अब कमोबेश कट्टरपंथियों के हवाले है। उसके लोकतंत्र के सामने जीवन-मरण का प्रश्न आ खड़ा हुआ है। चार साल पहले नशीद मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्होंने कई वजहों से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।
पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की बुद्ध की मूर्तियों को तोड़ दिया
कट्टरपंथी सरकार विरोधी आधे दर्जन प्रदर्शनकारियों ने करीब १२०० द्वीपों वाले देश मालदीव के संग्रहालय में रखी पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की बुद्ध की मूर्तियों को भी तोड़ दिया। इनमें से कुछ छठीं शताब्दी की हैं। संग्रहालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने इन मूर्तियों को संभवतः इस लिए तोड़ा क्यों कि वे इसे इसलाम के खिलाफ मानते हैं। तोड़ी गई मूर्तियों में छह सिरों वाली एक मूर्ति व डेढ़ फुट का बुद्ध का सिर है। संग्रहालय के प्रवक्ता के मुताबिक मूर्तियां तोड़नेवाले पकड़ लिए गए हैं जबकि पुलिस का कहना है कि वह तथ्य जुटा रही है जिससे आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके। इन भ्रामक खबरों से इतर सवाल यह है कि पुरातात्विक महत्व की इन मूर्तियों को तोड़ा ही क्यों गया। अफगानिस्तान के बामियान में २००१ में इसी तरह तालिबानियों ने भी बुद्ध की मूर्ति को उड़ा दिया था। आशंका यह जताई जा रही है कि सुन्नी मुस्लिम समुदाय वाले मालदीव में भी ऐसे उग्रपंथी जमा हो रहे हैं। इनकी धारणा है कि १२वीं शताब्दी में बौद्ध लोगों को ही सुन्नी मुसलमान बनाया गया था। मालदीव के राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक अली वाहिद ने बताया कि तोड़ी गई मूर्तियों में से दो या तीन को फिर से ठीक किया गया है लेकिन बाकी को ठीक किया जाना संभव नहीं है। पिछले साल इसी संग्रहालय से रिटायर हुईं इतिहासकार नसीमा मोहम्मद मूर्तियों का तोड़ा जाना इतिहास के लिए बड़ा नुकसान है क्यों मालदीव के द्वीपों में बिखरी प्राचीन सामग्री को पहले ही स्थानीय शासकों ने या तो नष्ट कर दिया या फिर गायब हो चुकी हैं। जो बचीं हैं वह भी बहुत कम हैं। हालांकि निदेशक वाहिद बताते हैं कि भवनों के निर्माण वगैरह के दौरान हर साल बुद्ध से संबंधित सामग्री मिल जाती हैं। नसीमा और वाहिद दोनों का कहना है कि कट्रटरपंथी मुसलमानों के उदय के बाद से संग्रहालय पर खतरा बढ़ा है क्यों कि इन्होंने इन्हें हटाने को कहा था। हालांकि मालदीव के इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल माजिद अब्दुल बारी ने कहा है कि प्राचीन बौद्ध मूर्तियां वगैरह हमारी विरासत हैं जिसे अपनी आनेवाली पीढियों के लिए सुरक्षित रकना है। संग्रहालय के निदेशक ने बताया कि टूटी मूर्तियों की मरम्मत में मदद के लिए उन्हें कई संग्रहालयों से आश्वासन मिला है।
मालदीव दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन [दक्षेस] का ऐसा सदस्य देश है जहां की सरकार के पीछे हमेशा से सेना रही है। मालदीव में पहली बार ऐसा हुआ है। देश में राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद के इस्तीफा देने और नए शासक के सत्ता संभालने के बाद हालात अशांत हो गए हैं। सात फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति नशीद के इस्तीफे के बाद से मालदीव में अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। पिछले सप्ताह नशीद के इस्तीफे से पहले और बाद में वहां हिंसा भड़क गई थी। नशीद का परिवार श्रीलंका चला गया। लेकिन नशीद ने एक श्रीलंकाई अखबार से कहा कि वह मालदीव में ही रहेंगे और लोकतंत्र के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। पिछले साल 23 दिसंबर को जब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तब उसमें कट्टरपंथी मुस्लिम आंदोलनकारी शामिल थे। उसमें कुछ अतिवादी तत्व भी थे। पूर्व सलाहकार ने जोर देकर कहा कि 23 दिसंबर को माले की सड़कों पर जिन लोगों ने प्रदर्शन किया था वे मालदीव के चरमपंथी तत्व थे।मालदीव के राष्ट्रपति नशीद के इस्तीफे से साफ हो गया है कि यह छोटा-सा देश अब कमोबेश कट्टरपंथियों के हवाले है। उसके लोकतंत्र के सामने जीवन-मरण का प्रश्न आ खड़ा हुआ है। चार साल पहले नशीद मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्होंने कई वजहों से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।
पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की बुद्ध की मूर्तियों को तोड़ दिया
कट्टरपंथी सरकार विरोधी आधे दर्जन प्रदर्शनकारियों ने करीब १२०० द्वीपों वाले देश मालदीव के संग्रहालय में रखी पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की बुद्ध की मूर्तियों को भी तोड़ दिया। इनमें से कुछ छठीं शताब्दी की हैं। संग्रहालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने इन मूर्तियों को संभवतः इस लिए तोड़ा क्यों कि वे इसे इसलाम के खिलाफ मानते हैं। तोड़ी गई मूर्तियों में छह सिरों वाली एक मूर्ति व डेढ़ फुट का बुद्ध का सिर है। संग्रहालय के प्रवक्ता के मुताबिक मूर्तियां तोड़नेवाले पकड़ लिए गए हैं जबकि पुलिस का कहना है कि वह तथ्य जुटा रही है जिससे आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके। इन भ्रामक खबरों से इतर सवाल यह है कि पुरातात्विक महत्व की इन मूर्तियों को तोड़ा ही क्यों गया। अफगानिस्तान के बामियान में २००१ में इसी तरह तालिबानियों ने भी बुद्ध की मूर्ति को उड़ा दिया था। आशंका यह जताई जा रही है कि सुन्नी मुस्लिम समुदाय वाले मालदीव में भी ऐसे उग्रपंथी जमा हो रहे हैं। इनकी धारणा है कि १२वीं शताब्दी में बौद्ध लोगों को ही सुन्नी मुसलमान बनाया गया था। मालदीव के राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक अली वाहिद ने बताया कि तोड़ी गई मूर्तियों में से दो या तीन को फिर से ठीक किया गया है लेकिन बाकी को ठीक किया जाना संभव नहीं है। पिछले साल इसी संग्रहालय से रिटायर हुईं इतिहासकार नसीमा मोहम्मद मूर्तियों का तोड़ा जाना इतिहास के लिए बड़ा नुकसान है क्यों मालदीव के द्वीपों में बिखरी प्राचीन सामग्री को पहले ही स्थानीय शासकों ने या तो नष्ट कर दिया या फिर गायब हो चुकी हैं। जो बचीं हैं वह भी बहुत कम हैं। हालांकि निदेशक वाहिद बताते हैं कि भवनों के निर्माण वगैरह के दौरान हर साल बुद्ध से संबंधित सामग्री मिल जाती हैं। नसीमा और वाहिद दोनों का कहना है कि कट्रटरपंथी मुसलमानों के उदय के बाद से संग्रहालय पर खतरा बढ़ा है क्यों कि इन्होंने इन्हें हटाने को कहा था। हालांकि मालदीव के इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल माजिद अब्दुल बारी ने कहा है कि प्राचीन बौद्ध मूर्तियां वगैरह हमारी विरासत हैं जिसे अपनी आनेवाली पीढियों के लिए सुरक्षित रकना है। संग्रहालय के निदेशक ने बताया कि टूटी मूर्तियों की मरम्मत में मदद के लिए उन्हें कई संग्रहालयों से आश्वासन मिला है।
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