Thursday, July 29, 2010
दिल्ली के थानों में कैद हैं जैन, हिंदू और बौद्ध धर्म के देवी-देवताओं की बेशकीमती मूर्तियां
दिल्ली पुलिस के मालखानों में विभिन्न धर्म के देवी.देवताओं की अनेक बेशकीमत मूर्तियां जमा हो गयी हैं और पुलिस इनमें से अधिकतर के मूल स्थान के बारे में जानकारी हासिल नहीं कर पायी है। दूसरी तरफ अदालत के आदेश के बाद कुछ मूर्तियों को इनके मूल स्थान पर पहुंचाया गया है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत दाखिल एक अर्जी के जवाब में यह बात सामने आयी है कि दिल्ली पुलिस के विभिन्न थानों के मालखानों में जैन, हिंदू और बौद्ध धर्म के देवी-देवताओं की कई मूर्तियां रखी हुई हैं। इनमें भगवान राम, शिव, गणेश के साथ भगवान महावीर और गौतम बुद्ध की प्रतिमाएं शामिल हैं।
दिल्ली निवासी सलेक चंद जैन द्वारा गत छह अप्रैल को दाखिल आरटीआई अर्जी के जवाब में यह बात सामने आयी कि कुछ मूर्तियों को अदालत के आदेश पर इनके मूल स्थान या मंदिरों में पहुंचा दिया गया है, जबकि कुछ के बारे में दिल्ली पुलिस जानकारी हासिल नहीं कर सकी है। ऐसी मूर्तियों को संबंधित थानों के मालखानों में ही रखा गया है।
मसलन, आईजीआई हवाईअड्डे के उपायुक्त कार्यालय के 14 मई को भेजे जवाब के अनुसार भगवान शंकर और गणेश की एक.एक मूर्ति अदालत में रखे जाने के बाद मालखाने भेज दी गयीं।
हालांकि पूर्वी दिल्ली जिले के जन सूचना अधिकारी द्वारा 15 मई को भेजे गये जवाब के अनुसार अदालत में पेश की गयीं 44 मूर्तियों में से 34 को मूल स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। इनमें से शेष 10 मूर्तियां संबंधित थानों के मालखानों में ही रखी गयी हैं।
इसी तरह कमला मार्केट थाने में दो, दक्षिण पूर्वी जिले के ग्रेटर कैलाश थाने में एक, मध्य दिल्ली के थानों के मालखानों में दो, दक्षिण दिल्ली के थानों में छह, सराय रोहिल्ला थाने के अनुसार पांच मूर्तियां हैं, जो अदालत में पेश किये जाने के बाद संबंधित थानों के मालखानों में रखी गयीं। उत्तरी दिल्ली जिले के जन सूचना अधिकारी कार्यालय ने बताया कि पांच मूर्तियों में से अदालत के आदेश के बाद तीन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौंप दिया गया और दो को संबंधित थानों के मालखानों में रखा गया। जवाब में यह भी बताया गया कि इन्हें रखने के बारे में अदालत फैसला करती है।
इससे पहले जैन ने गत वर्ष 14 सितंबर को पुलिस के सीपीआईओ के समक्ष आरटीआई अर्जी दाखिल की थी, जिसके जवाब में दिल्ली के विभिन्न थानों के मालखानों में सौ से अधिक बहुमूल्य मूर्तियां होने का पता चला था। इनमें सर्वाधिक मूर्तियां दक्षिण पूर्वी दिल्ली जिले के थानों में रखी बतायी गयीं। इनमें हजरत निजामुद्दीन थाने में 52 और गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा कालकाजी थाने में रखी बतायी गयीं।
वहीं 14 मई के जवाब में दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ही उपायुक्त कार्यालय ने बताया था कि केवल एक प्रतिमा अदालत के सामने रखी गयी और इसे ग्रेटर कैलाश थाने के मालखाने में रखा गया है। जैन का कहना है 14 अक्तूबर को दिये गये जवाब में जहां उन्हें 53 मूर्तियों के बारे में बताया गया, वहीं दक्षिण पूर्वी दिल्ली पुलिस के ही गत 29 मई के जवाब में बताया गया कि थानों में केवल 46 ही मूर्तियां हैं। अन्य सात के बारे में जानकारी नहीं दी गयी।
जवाब के अनुसार उत्तर पश्चिम दिल्ली में अलग अलग धर्म की 30 मूर्तियां, उत्तरी जिले के थानों में सात मूर्तियां होने की जानकारी दी गयी। पुलिस के संबंधित पीआईओ द्वारा पिछले साल सितंबर.अक्तूबर में भेजे गये जवाबों के अनुसार इन मूर्तियों में अष्टधातु समेत बेशकीमती मूर्तियां भी शामिल हैं और जैन धर्म, हिंदू धर्म की प्रतिमाएं हैं।
बहरहाल पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस के 22 अक्तूबर के जवाब के अनुसार 33 मूर्तियां संबंधित मंदिरों में पहुंचा दी गयी थीं। जैन ने पिछले साल और इस साल अप्रैल में दायर अपनी आरटीआई अर्जियों के जवाब मिलने के बाद गत 25 मई को कंद्रीय गृह सचिव, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग की है कि पकड़े गये चोरों या तस्करों से जानकारी मिलने के बाद तत्काल जांच के आधार पर इन प्रतिमाओं को मालखानों में जमा कराने के बजाय इनके मूल स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए या इन धर्मों की संस्थाओं को सौंप देना चाहिए। उन्होंने यह अनुरोध भी किया है कि संबंधित धर्म की भावनाओं का ख्याल रखते हुए मालखानों में मूर्तियों को सम्मान के साथ रखा जाना चाहिए। इसके लिए जैन ने एक समिति बनाने का सुझाव दिया है। (वैभव माहेश्वरी )
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1 comment:
मूर्तियों, कलाकृतियों को संग्रहालयों में सुरक्षित कर दिया जाना बेहतर विकल्प होगा.
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