इस लेख को पढवाने के लिए आभार. यह सत्य है की (छोटी इ} इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि आदि प्राप्त करने के बाद आजीविका के लिए भटकना पड़ता है. संभवतः यह केवल भारत की विशेषता है. हम यह मानते हैं की (छोटी इ} लोगों में रूचि जागृत करने के लिए प्रयास होना चाहिए. इतिहास में पारंगत लोग भी चुप्पी साधे रहते हैं. यदि कभी कभार लिखते भी हैं तो ऐसी भाषा होती है जो आम आदमी के समझ के परे होती है. वे अपनी पंडिताई जाताने के चक्कर में होते हैं.
4 comments:
इस लेख को पढवाने के लिए आभार. यह सत्य है की (छोटी इ} इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि आदि प्राप्त करने के बाद आजीविका के लिए भटकना पड़ता है. संभवतः यह केवल भारत की विशेषता है. हम यह मानते हैं की (छोटी इ} लोगों में रूचि जागृत करने के लिए प्रयास होना चाहिए. इतिहास में पारंगत लोग भी चुप्पी साधे रहते हैं. यदि कभी कभार लिखते भी हैं तो ऐसी भाषा होती है जो आम आदमी के समझ के परे होती है. वे अपनी पंडिताई जाताने के चक्कर में होते हैं.
आदरणीय गुरुजन ...बेहतरीन प्रयास, आभार..!!!
आप का अतीत के प्रति प्रेम सराहनीय है
बहुत अच्छा लेख है यह । धन्यवाद ।
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