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Wednesday, February 22, 2012

तीस करोड़ साल पुरानी राख के नीचे मिला सुरक्षित जंगल

खबरों में इतिहास 
अक्सर इतिहास से संबंधित छोटी-मोटी खबरें आप तक पहुंच नहीं पाती हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए यह ब्लाग इतिहास की नई खोजों व पुरातत्व, मिथकीय इतिहास वगैरह से संबंधित खबरों को संकलित करके पेश करता है। अगर आपके पास भी ऐसी कोई सामग्री है तो मुझे drmandhata@gmail पर हिंदी या अंग्रेजी में अपने परिचय व फोटो के साथ मेल करिए। इस अंक में पढ़िए--------।
 १- तीस करोड़ साल पुरानी राख के नीचे मिला सुरक्षित जंगल 
 २- हज़ारों साल पहले भी खाए जाते थे पॉपकॉर्न !
 ३- राशिचक्र के पुराने अंशों का पता लगा
 तीस करोड़ साल पुरानी राख के 
नीचे मिला सुरक्षित जंगल
http://www.bbc.co.uk/hindi/china/2012/02/120222_chinese_pompeii_sdp.shtml
शोधकर्ताओं ने चीन में राख की परत की नीचे सुरक्षित एक जंगल को खोज निकाला है। राख की ये परत 30 करोड़ वर्ष से जमा है। वुडा ज़िले के इनर मंगोलिया के पश्चिम में मिला ये जंगल इतालवी शहर पोमपेई जैसा है.करोड़ो वर्ष पहले ये इलाका कैसा दिखता रहा होगा, इसका भी परिकल्पना की गई है।
पेड़-पौधों की हालत देखकर शोधकर्ताओं ने राख की मात्रा का अनुमान लगाया है। उन्होंने पाया कि पेड़-पौधे राख के नीचे भले ही दब गए लेकिन वे नष्ट नहीं हुए। इस शोध से जुड़े अमरीका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के हरमन फेफरकोर्न कहते हैं, "ये जंगल बड़े ही आश्चर्यजनक तरीके से सुरक्षित हैं. हम वहां खड़े हो सकते हैं और ऐसी टहनिया खोज सकते हैं जिसमें पत्तियां हैं।  एक के बाद एक टहनियां मिलती जाती हैं और तभी हमें उसे पेड़ का तना मिलता है. ये वाकई रोचक है.'' शोधकर्ताओं के दल ने यहां पेड़ों की छह समूहों की पहचान की है।  इनमें छोटे पेड़ों से लेकर 25 मीटर ऊंचे पेड़ शामिल हैं।

शोध के नतीजो के आधार पर दल ने एक चित्रकार की मदद से एक तस्वीर बनवाकर ये जानने की कोशिश की है कि राख के बादल गिरने से पहले ये जंगल कैसा नज़र आता होगा।
हरमन फेफरकोर्न कहते हैं, ''ये इतालवी शहर पोमपेई जैसा है. पोमपेई से रोमन संस्कृति को समझने में मदद मिली थी लेकिन इससे रोम के इतिहास के बारे में कुछ पता नहीं चलता.'' वे कहते हैं, ''लेकिन दूसरी ओर, इससे तत्कालीन समय और बाद के समय के बारे में जानकारी मिलती है. ये शोध भी इससे मिलता-जुलता है। ये एक टाइम-कैप्सूल है जो हमें ये व्याख्या करने में मदद करता है कि पहले क्या हुआ था।

राशिचक्र के पुराने अंशों का पता लगा
क्रोएशिया में एड्रिआटिक सागर के नजदीक एक गुफा में दो हजार साल से अधिक पुराने राशिचक्र के अंशों का पता लगा है। इस खोज के बारे में जर्नल ऑफ हिस्ट्री ऑफ एस्ट्रोनामी में प्रकाशित हुआ है। यह खोज नाकोवाने कस्बे के समीप की गई। एंथ्रापोलॉजी इंस्टीट्यूट ऑफ जागरेब के पुरातत्वविद और इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूयार्क के विशेषज्ञ एलेक्सेंडर जोन ने कहा कि यह प्राचीन ज्योतिष चक्र का एक असाधारण उदाहरण है। राशिचक्र के करीब 30 टुकड़े मिले हैं। इन पर हैलेनिक शैली में राशियां उकेरी गई हैं। लाइव साइंस के अनुसार कर्क, मिथुन और मीन राशियों को स्पष्ट तौर पर पहचाना जा सकता है लेकिन धनु राशि अधिक स्पष्ट नहीं है। जोंस ने कहा कि उन्होंने जब हाथी दांत से बने टुकड़ों को एकत्र करना शुरू किया तो उन्हें हैलेनिक भांडों के टुकड़ों के संग राशिचक्र के टुकड़े भी मिले।

हज़ारों साल पहले भी खाए जाते थे पॉपकॉर्न !
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/01/120119_popcorn_peru_ancient_sy.shtml
उत्तरी पेरू के लोग साधारण अनुमान से 1,000 साल पहले भी पॉपकॉर्न खाया करते थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पेरू में मकई के फूले हुए दाने मिले हैं, जो कि इस बात का संकेत है कि वहां रहने वाले लोग इसका इस्तेमाल मकई का आटा और पॉपकॉर्न बनाने में करते थे.वाशिंगटन के प्राकृतिक इतिहास संग्राहलय के मुताबिक़ पाए गए मकई के फूले हुए दानों में से सबसे पुराने करीब 6,700 साल पुराने थे.'स्मिथसोनियन म्यूज़म ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री' के न्यू वर्ल्ड आर्केलॉजी विभाग की निरीक्षक डोलोर्स पिपर्नो ने कहा कि मैक्सिको में 9,000 साल पहले मकई को जंगली घास के ज़रिए उगाया जाता था।  उनका कहना था कि उनकी शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि साउथ अमरीका में मकई के आने के एक हज़ार साल बाद ये महाद्वीप के दूसरे क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में पाया गया।
शोधकर्ताओं की टीम को मकई के बालों के अवशेष पारेदोन्स और हुआका प्रीटा नाम के प्राचीन स्थलों पर मिला। हालांकि शोधकर्ताओं का मानना है कि उस समय मकई लोगों के आहार का अहम हिस्सा नहीं था।

4 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत अच्‍छी जानकारी।

Shah Nawaz said...

Waah... Behtreen jaankaariyan di aapne.... Kafi kuchh jaanne ko mila...

Nirantar said...

संयोगवश आपके ब्लॉग तक पहुंचा मन को बहुत भाया,इतना कुछ पठनीय और ज्ञानवर्धक है,मज़ा आ गया ,आपको हार्दिक शुभकामनाएं

Asha Lata Saxena said...

अच्छी और नई जानकारी देता लेख पद कर बहुत अच्चा लगा |
इसी प्रकार ज्ञानवर्धन करते रहिये |
आशा

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