यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल देश की सबसे पुरानी 'रामनगर की मशहूर रामलीला' को पहली बार दूरदर्शन एक फिल्म के रूप में लगातार एक महीने तक दिखाएगा। करीब 200 साल से चली आ रही इस पुश्तैनी रामलीला को 27 सितंबर से 27 अक्टूबर तक हर रोज रात 8:30 बजे डी.डी भारती पर दिखाया जाएगा।
इसी दौरान राष्ट्रीय इंदिरा गांधी कला केंद्र भी हर रोज शाम 6:00 बजे से इस फिल्म का एक-एक अंश दिखाएगा। केंद्र ने इस रामलीला पर एक अनोखी प्रदर्शनी भी आयोजित की है। देश में किसी भी रामलीला पर यह पहली प्रदर्शनी है। साथ ही दूरदर्शन पहली बार किसी रामलीला को लगातार एक महीने दिखाएगा।
वाराणसी से 20 किलोमीटर दूर रामनगर में हर साल यह रामलीला होती है। रामनगर के महाराजा गत 200 सालों से इस रामलीला का आयोजन करते रहे हैं जो 31 दिन तक रोज होती है। देश के किसी भी हिस्से में इतने दिनों तक कोई भी रामलीला नहीं होती है।
प्रदर्शनी के संयोजक गौतम चटर्जी और दूरदर्शन के क्रिएटिव प्रोड्यूसर डॉ. गौरीशंकर रैना ने बताया कि रामनगर के महाराजा आदित्य नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी। बाद में उनके पुत्र महाराजा विभूति नारायाण इसे आयोजित करते रहे और अब उनके निधन के बाद उनके पुत्र महाराजा अनंत कुमार सिंह इसे आयोजित करते हैं।
हर साल महाराजा के गुरुकुल के बच्चे इस रामलीला के पात्र होते हैं। रामनगर के महाराजा ही इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाते हैं और ये बच्चे 31 दिनों तक संयमित ढंग से खान-पान और आचरण भी करते हैं। उन्हें रामलीला के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हर साल गुरुकुल के नए बच्चे इस रामलीला में अभिनय करते हैं।
यह रामलीला रामनगर में 4 किलोमीटर के दायरे में 31 स्थानों पर जगह बदल-बदल कर होती हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पूर्व निदेशक और मशहूर रंगकर्मी अनुराधा कपूर ने इस रामलीला पर पीएचडी भी की है। उनका कहना है कि यह रामलीला दुनिया का पहला गतिशील (मूविंग) नाट्य मचंन है जो हर दिन अलग अलग स्थानों पर किया जाता है। रामचरित मानस की चौपाइयों पर आधारित अवधि में होने वाली इस रामलीला में न तो कोई माइक होता है और न ही लाईट बल्कि पेट्रोमैक्स की रोशनी में इस रामलीला को खेला जाता है और 40 किलोमीटर दूर के गांवों से लाखों लोग इसे देखने आते हैं।
इस रामलीला की खासियत यह है कि रामलीला के दौरान रावण दहन या आतिशबाजी और मंच सज्जा के सभी कारीगर मुस्लिम होते हैं। रामलीला के पात्र वही होते हैं जो 200 साल से पुश्तैनी रूप से अभिनय करते रहे हैं। दूरदर्शन की करीब 40 लोगों की टीम ने पिछले साल 27 सितंबर से 27 अक्टूबर तक इस रामलीला की रिकॉर्डिंग की थी। उस रिकॉर्डिंग को एडिट कर इस साल इसे दिखाया जा रहा है।