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Sunday, September 27, 2015

200 साल पुरानी 'रामनगर की रामलीला' दिखेगी टीवी पर


यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल देश की सबसे पुरानी 'रामनगर की मशहूर रामलीला' को पहली बार दूरदर्शन एक फिल्म के रूप में लगातार एक महीने तक दिखाएगा। करीब 200 साल से चली आ रही इस पुश्तैनी रामलीला को 27 सितंबर से 27 अक्टूबर तक हर रोज रात 8:30 बजे डी.डी भारती पर दिखाया जाएगा।

इसी दौरान राष्ट्रीय इंदिरा गांधी कला केंद्र भी हर रोज शाम 6:00 बजे से इस फिल्म का एक-एक अंश दिखाएगा। केंद्र ने इस रामलीला पर एक अनोखी प्रदर्शनी भी आयोजित की है। देश में किसी भी रामलीला पर यह पहली प्रदर्शनी है। साथ ही दूरदर्शन पहली बार किसी रामलीला को लगातार एक महीने दिखाएगा।

वाराणसी से 20 किलोमीटर दूर रामनगर में हर साल यह रामलीला होती है। रामनगर के महाराजा गत 200 सालों से इस रामलीला का आयोजन करते रहे हैं जो 31 दिन तक रोज होती है। देश के किसी भी हिस्से में इतने दिनों तक कोई भी रामलीला नहीं होती है।

प्रदर्शनी के संयोजक गौतम चटर्जी और दूरदर्शन के क्रिएटिव प्रोड्यूसर डॉ. गौरीशंकर रैना ने बताया कि रामनगर के महाराजा आदित्य नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी। बाद में उनके पुत्र महाराजा विभूति नारायाण इसे आयोजित करते रहे और अब उनके निधन के बाद उनके पुत्र महाराजा अनंत कुमार सिंह इसे आयोजित करते हैं।

हर साल महाराजा के गुरुकुल के बच्चे इस रामलीला के पात्र होते हैं। रामनगर के महाराजा ही इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाते हैं और ये बच्चे 31 दिनों तक संयमित ढंग से खान-पान और आचरण भी करते हैं। उन्हें रामलीला के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हर साल गुरुकुल के नए बच्चे इस रामलीला में अभिनय करते हैं।

यह रामलीला रामनगर में 4 किलोमीटर के दायरे में 31 स्थानों पर जगह बदल-बदल कर होती हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पूर्व निदेशक और मशहूर रंगकर्मी अनुराधा कपूर ने इस रामलीला पर पीएचडी भी की है। उनका कहना है कि यह रामलीला दुनिया का पहला गतिशील (मूविंग) नाट्य मचंन है जो हर दिन अलग अलग स्थानों पर किया जाता है। रामचरित मानस की चौपाइयों पर आधारित अवधि में होने वाली इस रामलीला में न तो कोई माइक होता है और न ही लाईट बल्कि पेट्रोमैक्स की रोशनी में इस रामलीला को खेला जाता है और 40 किलोमीटर दूर के गांवों से लाखों लोग इसे देखने आते हैं।

इस रामलीला की खासियत यह है कि रामलीला के दौरान रावण दहन या आतिशबाजी और मंच सज्जा के सभी कारीगर मुस्लिम होते हैं। रामलीला के पात्र वही होते हैं जो 200 साल से पुश्तैनी रूप से अभिनय करते रहे हैं। दूरदर्शन की करीब 40 लोगों की टीम ने पिछले साल 27 सितंबर से 27 अक्टूबर तक इस रामलीला की रिकॉर्डिंग की थी। उस रिकॉर्डिंग को एडिट कर इस साल इसे दिखाया जा रहा है।


Thursday, September 17, 2015

खुदाई में मिला विजयनगर का खजाना!

     तेलंगाना में खम्मम जिले के गर्लाबाय्याराम पुलिस थाना क्षेत्र में विजयनगर काल के 40 सोने के सिक्के और एक पीतल का बर्तन मिला है। तेलंगाना पुरातत्व और संग्रहालय की निदेशक सुनिता ने बताया कि सिक्कों की शुरुआती जांच में ये खजाना विजयनगर काल का लग रहा है। ये सिक्के तुलुव राजवंश के  राजा कृष्णदेवराय (1506-1530) और अच्युताराय (1530-1542) के काल के प्रतीत हो रहे हैं। सुनिता ने बताया कि गर्लाबाय्याराम के पुलिस के उप निरीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक यह खजाना पांच महीने पहले  पाथयातंडा शिवार में मिला था।
उन्होंने बताया कि इन कुछ सिक्कों पर बैठे हुए भगवान बालकृष्ण का चित्र अंकित है जिन्होंने अपने दाएं हाथ में मक्खन लिया हुआ है और उनका बायां हाथ पैर बांये पैर के घुटने पर है। सिक्के पर भगवान बालकृष्ण के बांई ओर शंख और दाई ओर चक्र रखा हुआ है।
    दूसरे तरह के सिक्के की एक तरफ दो सिर वाले गरुड़ को ऊपर की तरफ उड़ते हुए दिखाया गया है जिसने अपनी दोनों चोंचों और दोनों पंजों से एक हाथी को पकड़ा हुआ है।
   सिक्के के पीछे की तरफ नगरी भाषा में तीन लाइनों में श्री प्रा ता पा च्यु ता रा या लिखा हुआ है। ये सिक्के गोलाकार है और इनका वजन 1650 मिलिग्राम से लेकर 3380 मिलिग्राम तक है। (वार्ता)

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