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Monday, April 6, 2009

विश्व इतिहास में 'मैनीफेस्टो'

लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों हर पार्टी आए-दिन अपने 'मैनीफेस्टो' (घोषणा-पत्र) जारी कर रही है और जनता का वोट अपनी ओर खींचने के लिए लोक-लुभावने वादे भी कर रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस 'मैनीफेस्टो' शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? दरअसल यह इटली का शब्द है जो लैटिन के 'मैनी फेस्टम' शब्द से निकला है। इसका इतिहास भी काफी पुराना है। विश्व इतिहास में 'मैनीफेस्टो' शब्द का पहली बार प्रयोग 1620 में अंग्रेजी में मिलता है। 'हिस्ट्री ऑफ द कौंसिल ऑफ ट्रेंट' नामक पुस्तक में इसका जिक्र आता है। इस पुस्तक के लेखक पावलो सार्पी थे। आधुनिक भारत का पहला घोषणा-पत्र राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 1909 में छपी पुस्तक 'हिन्द स्वराज' को माना जाता है।

'मैनीफेस्टो' शब्द का अर्थ दरअसल 'जनता के सिद्धान्त और इरादे' से जुड़ा है पर लोकतांत्रिक समाज में यह राजनीतिक दलों से जुड़ गया है। विश्व प्रसिद्ध चिंतक कार्ल मार्क्स की तथा फ्रेड्रिक एंजिल्स की 1848 में छपी चर्चित पुस्तक 'द कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' से पहले भी इस तरह का मैनीफेस्टो निकल चुका था पर वह किसी राजनीतिक पार्टी का घोषणा-पत्र नहीं था।

मार्क्स ने अपने घोषणा-पत्र में दुनिया को बदलने का सपना देखा था। लातीनी अमेरिका के क्रांतिकारी साइमन वोलीवर ने 1812 में ही कार्टेगेना मैनीफेस्टो लिखा था। 1850 में अराजकता वादियों का भी 'एनारकिस्ट मैनीफेस्टो' निकला था। 1905 में रूस में हुई क्रांति को रोकने के लिए उस वर्ष 'अक्टूबर मैनीफेस्टो' भी छपा था। 1919 में फासिस्टों का भी एक घोषणा-पत्र निकला था। 1926 में नरभक्षियों का भी एक घोषणा-पत्र जारी हुआ था। 1934 में एडविन लेविस ने ईसाइयों का घोषणा-पत्र निकाला। 1949 में लियाकत अली खां की पुस्तक 'द ऑब्जेक्टिव रेजोल्यूशन ऑफ पाकिस्तान' को भी पाकिस्तान का राजनीतिक घोषणा-पत्र माना जाता है।

1955 में बट्रेंड रसेल और आइन्सटीन के घोषणा-पत्र को परमाणु हथियार और युद्ध के विरुद्ध घोषणा-पत्र माना जाता है। 1958 में पूँजी के लोकतांत्रिकरण के पक्ष में 'कैपटलिस्ट मैनीफेस्टो' निकला। 2004 में फ्री कल्चर संस्थान ने 'द फ्री कल्चर' घोषणा-पत्र जारी किया1 2008 में भी 'द रिवोल्यूशन ए मैनीफेस्टो' किताब निकली, जिसके लेखक रोन पॉल थे। इसके अलावा कला और तकनीकी के क्षेत्र में भी लोगों ने कई घोषणा-पत्र निकाले। भारत में भी पिछले चुनाव में भोपाल से हिन्दी के लेखकों ने अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी किया था।
कुछ महत्वपूर्ण दलों के घोषणापत्र
कांग्रेस (http://aicc.org.in/new/home-layout-manifesto.php )

भारतीय जनता पार्टी (http://www.bjp.org/images/pdf/election_manifesto_english.pdf )


भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी ( http://cpim.org/manifesto.pdf )

2 comments:

Alok Nandan said...

Hind Swaraj or Indian Home Rule is a small tract written by Gandhi in 1908. Gandhi had been living in South Africa for some years, had been to India on a visit, and on the voyage back to South Africa from London he penned this work in less than ten days, writing with his left hand when his right hand started giving him some pain. Hind Swaraj appeared first in installments in the pages of Indian Opinion, a newspaper founded and edited by Gandhi, and in 1909 was published as a book, though it was proscribed at once by the Government of Bombay. Less than 100 pages long, and comprised of twenty short chapters, Hind Swaraj is cast in the form of a dialogue between Gandhi, who is called "The Editor", and his interlocutor, known as "The Reader." Some readers might be reminded of the Socratic dialogues, where Socrates has by far the greater number of lines; his interlocutors appear as sophists. Others will think, perhaps, of the Upanishadic dialogues, while yet others might think of Hind Swaraj as a Sunday school catechism, where matters of ‘truth’ and ‘doctrine’ are put in the form of questions and answers.

Gandhi ke manifesto ke year ko lekar ek fact me ek sal ki garbari dikh rahi hai...ya to yeh galat hai ya phir aap jo fact de rahe ho vo galat hai..kripay mera confusion dur kar...ho sakata hai ki aap sahi hai...

Dr Mandhata Singh said...

आप ही सही हैं. हिंद स्वराज १९०९ में लिखी गयी थी. गलती की तरफ ध्यान दिलाने के लिए आलोक नंदन जी मैं आपको धन्यवाद देता हूँ..
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